Ad

देसी गाय

योगी सरकार की इस योजना से गौ-पालन करने वालों को मिलेगा अनुदान

योगी सरकार की इस योजना से गौ-पालन करने वालों को मिलेगा अनुदान

नंदिनी कृषक समृद्ध योजना और गौ संवर्धन योजनाओं को संचालित कर रही है। राज्य सरकार इन समस्त योजनाओं के आधार पर किसानों को अथवा डेयरी खोलने वालों को सब्सिड़ी की धनराशि के साथ में कई अन्य तरह की सहायता भी प्रदान कर रही है। 

गौ पालन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य गौ वंश को प्रोत्साहन देने साथ-साथ राज्य में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी करना है। 

प्रदेश सरकार राज्य में गौ वंशों के पालन के लिए राज्य में गोपालक योजना, नंद बाबा योजना, नंदिनी कृषक समृद्ध योजना एवं गौ संवर्धन योजनाओं को संचालित कर रही है। 

प्रदेश सरकार इन समस्त योजनाओं के आधार पर किसानों को अथवा डेयरी खोलने वालों को सब्सिड़ी की बड़ी धनराशि के साथ में विभिन्न अन्य प्रकार की मदद भी प्रदान कर रही है। 

राज्य सरकार फिलहाल नंदिनी कृषक समृद्धि योजना को संचालित कर रही है। योगी सरकार की तरफ से इस योजना के अंतर्गत 62 लाख रुपये के प्रोजेक्ट पर 50 फीसद अनुदान तक तीन हिस्सों में प्रदान करेगी।

प्रमुख नस्लों की गायों पर मिलेगा अनुदान

उत्तर प्रदेश सरकार इस अनुदान धनराशि को तीन हिस्सों में प्रदान करेगी। परंतु, इसके लिए राज्य सरकार की कुछ प्रमुख शर्तें होंगी। इन शर्तों को पूर्ण करने के पश्चात ही कोई भी आदमी इस योजना का फायदा उठा सकता है। 

दरअसल, प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से अधिक दूध देने वाली गायों को पालने पर ही धनराशि को आवंटित करेगी। इन प्रजातियों की गायों में स्वदेशी गाय थारपारकर, गिल नस्ल और साहीवाल की गायों को शम्मिलित किया गया है। 

इस योजना का फायदा उठाने के लिए पशुपालकों को तकरीबन 10 इन्हीं नस्लों के बच्चों को दिखाना पड़ेगा, जिसके पश्चात वह अनुदान धनराशि का तकरीबन 25 फीसद तक ले सकेंगे। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको 25 अक्टूबर तक आवेदन करना पड़ेगा।

ये भी पढ़ें: ठण्ड में दुधारू पशुओं की देखभाल कैसे करें

योजना का लाभ लेने के लिए किस तरह अप्लाई करें

आपको इसके लिए इसकी अधिकारिक वेबसाइट www.animalhusb.upsdc.gov.in पर क्लिक करके फॉर्म को भरना होगा। इसके साथ-साथ उनके पास खुद की अथवा लीज पर पशुपालन संबंधी स्थान को दिखाना आवश्यक है। 

इस योजना का फायदा उत्तर प्रदेश राज्य के पंजीकृत किसान ही उठा पाऐंगे। किसानों के पास गौ-पालन से जुड़ा तकरीबन तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए। इसके साथ-साथ कामधेनु का फायद उठा चुके लाभार्थी इसका फायदा नहीं उठा पाऐंगे।

ये भी पढ़ें: Cow-based Farming: भारत में गौ आधारित खेती और उससे लाभ के ये हैं साक्षात प्रमाण

योजना का लाभ लेने हेतु किन कागजों की आवश्यकता पड़ेगी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आपको इस योजना का फायदा उठाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अथवा केंद्र द्वारा प्रदत्त समस्त अधिकारिक आई-डी कार्ड को अपने पास सुरक्षित रख लें, जिससे आपको आवेदन करते समय किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो। 

इसके लिए आपके पास आधार कार्ड, मूल निवास प्रमाण, जमीन का विवरण, बैंक अकाउंट विवरण, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो का होना बेहद आवश्यक है।

गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए

गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए

चंडीगढ़। हरियाणा से गोपालकों के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। हरियाणा सरकार ने एक देसी गाय खरीदने पर किसान को 25000 रुपए की सब्सिडी देने की घोषणा की है। 

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ा फैसला लिया गया है। हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने एक देसी गाय की खरीद पर किसान को 25 हजार रुपए देने का फैसला लिया है। 

साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम निःशुल्क दिए जाएंगे। हरियाणा राज्य इस तरह की घोषणा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

पीएम की मुहिम को सफल बनाने का प्रयास

- हरियाणा सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेचुरल फार्मिंग वाली मुहिम को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे जहरीले केमिकल वाली खेती पर अंकुश लग सके।

ये भी पढ़ें: भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं

50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य

- मनोहरलाल खट्टर सरकार ने प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में 'खेत प्रदर्शनी' कार्यक्रम लगाए जाएंगे, 

जिससे दूसरे किसान भी जहरीली खेती करने से तौबा करें और जैविक खेती की ओर रुख करें। प्राकृतिक खेती से किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

ये भी पढ़ें: जानिए क्या है नए ज़माने की खेती: प्रिसिजन फार्मिंग

इस तरह किया गया है एलान

- हरियाणा के करनाल स्थित डॉ. मंगलसैन ऑडिटोरियम में प्राकृतिक खेती पर राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। 

बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों को स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की गई है। 

ऐसे सभी किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान तय किया गया है। सीएम ने कृषि वैज्ञानिकों से सीधा संवाद किया और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने की बात कही। और जिम्मेदार अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी दिए। ------ लोकेन्द्र नरवार

देसी और जर्सी गाय में अंतर (Difference between desi cow and jersey cow in Hindi)

देसी और जर्सी गाय में अंतर (Difference between desi cow and jersey cow in Hindi)

2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23% है और वर्तमान में भारत में 209 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया जाता है, जो कि प्रतिवर्ष 6% की वृद्धि दर से बढ़ रहा है। 

भारतीय किसानों के लिए खेती के साथ ही दुग्ध उत्पादन से प्राप्त आय जीवन यापन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत को विश्व दुग्ध उत्पादन में पहले स्थान तक पहुंचाने में गायों की अलग-अलग प्रजातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 

हालांकि, उत्तरी भारतीय राज्यों में भैंस से प्राप्त होने वाली दूध की उत्पादकता गाय की तुलना में अधिक है, परंतु मध्य भारत वाले राज्यों में भैंस की तुलना में गाय का पालन अधिक किया जाता है। 

भारत में पाई जाने वाली गायों की सभी नस्लों को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है, जिन्हें देसी गाय (देशी गाय - Desi or deshi cow - Indegenous or Native cow variety of India) और जर्सी गाय (Jersey Cow / jarsee gaay) की कैटेगरी में वर्गीकृत किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें: भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन के लिए मिलेगी 50% सब्सिडी, जानिए पूरी जानकारी

क्या है देसी और जर्सी गाय में अंतर ? (Difference between desi cow and jersey cow)

वैसे तो सभी गायों की श्रेणी को अलग-अलग नस्लों में बांटे, तो इन में अंतर करना बहुत ही आसान होता है।

  • देसी गाय की विशेषताएं एवं पहचान के लक्षण :

भारत में पाई जाने वाली देसी गायें मुख्यतः बीटा केसीन (Beta Casein) वाले दूध का उत्पादन करती है, इस दूध में A2-बीटा प्रोटीन पाया जाता है।

देसी गायों में एक बड़ा कूबड़ होता है, साथ ही इनकी गर्दन लंबी होती है और इनके सींग मुड़े हुए रहते है।

एक देसी गाय से एक दिन में, दस से बीस लीटर दूध प्राप्त किया जा सकता है।

प्राचीन काल से ग्रामीण किसानों के द्वारा देसी गायों का इस्तेमाल कई स्वास्थ्यवर्धक फायदों को मद्देनजर रखते हुए किया जा रहा है, क्योंकि देसी गाय के दूध में बेहतरीन गुणवत्ता वाले विटामिन के साथ ही शारीरिक लाभ प्रदान करने वाला गुड कोलेस्ट्रोल (Good cholesterol) और दूसरे कई सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।

देसी गायों की एक और खास बात यह है कि इन की रोग प्रतिरोधक क्षमता जर्सी गायों की तुलना में अधिक होती है और नई पशुजन्य बीमारियों का संक्रमण देसी गायों में बहुत ही कम देखने को मिलता है।

देसी गायें किसी भी गंदगी वाली जगह पर बैठने से परहेज करती हैं और खुद को पूरी तरीके से स्वच्छ रखने की कोशिश करती हैं।

इसके अलावा इनके दूध में हल्का पीलापन पाया जाता है और इनका दूध बहुत ही गाढ़ा होता है, जिससे इस दूध से अधिक घी और अधिक दही प्राप्त किया जा सकता है।

देसी गाय से प्राप्त होने वाले घी से हमारे शरीर में ऊर्जा स्तर बढ़ने के अलावा आंखों की देखने की क्षमता बेहतर होती है, साथ ही शरीर में आई विटामिन A, D, E और K की कमी की पूर्ति की जा सकती है। पशु विज्ञान के अनुसार देसी गाय के घी से मानसिक सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

हालांकि पिछले कुछ समय से किसान भाई, देसी गायों के पालन में होने वाले अधिक खर्चे से बचने के लिए दूसरी प्रजाति की गायों की तरह फोकस कर रहे है।

यदि बात करें देसी गाय की अलग-अलग नस्लों की, तो इनमें मुख्यतया गिर, राठी, रेड सिंधी और साहिवाल नस्ल को शामिल किया जाता है।

ये भी पढ़ें: गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए

  • जर्सी या हाइब्रिड गायों की विशेषता और पहचान के लक्षण :

कई साधारण विदेशी नस्लों और सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक विधि की मदद से की गई ब्रीडिंग से तैयार, हाइब्रिड या विदेशी गायों को भारत में जर्सी श्रेणी की गाय से ज्यादा पहचान मिली है।

जर्सी गाय से प्राप्त होने वाले दूध में A1 और A2 दोनों प्रकार के बीटा केसीन प्राप्त होते है, जो कि हमारे शरीर में विटामिन और एंजाइम की कमी को दूर करने में मददगार साबित होते है।

हाइब्रिड गायों को आसानी से पहचानने के कुछ लक्षण होते है, जैसे कि इनमें किसी प्रकार का कोई कूबड़ नहीं होता है और इनकी गर्दन देसी गायों की तुलना में छोटी होती है, साथ ही इनके सिर पर उगने वाले सींग या तो होते ही नहीं या फिर उनका आकर बहुत छोटा होती है।

किसान भाइयों की नजर में जर्सी गायों का महत्व इस बात से है कि एक जर्सी गाय एक दिन में 30 से 35 लीटर तक दूध दे सकती है, हालांकि इस नस्ल की गायों से प्राप्त होने वाला दूध, पोषक तत्वों की मात्रा में देसी गायों की तुलना में कम गुणवत्ता वाला होता है और इसके स्वास्थ्य लाभ भी कम होते हैं।

न्यूजीलैंड में काम कर रही पशु विज्ञान से जुड़ी एक संस्थान के अनुसार, हाइब्रिड नस्ल की गाय से प्राप्त होने वाले उत्पादों के इस्तेमाल से उच्च रक्तचाप और डायबिटीज ऐसी समस्या होने के अलावा, बुढ़ापे में मानसिक अशांति जैसी बीमारियां होने का खतरा भी रहता है।

भारत में पाई जाने वाली ऐसे ही कई हाइब्रिड गायें अनेक प्रकार की पशुजन्य बीमारियों की आसानी से शिकार हो जाती हैं, क्योंकि इन गायों का शरीर भारतीय जलवायु के अनुसार पूरी तरीके से ढला हुआ नहीं है, इसीलिए इन्हें भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाली बीमारियां बहुत ही तेजी से ग्रसित कर सकती है।

जर्सी या हाइब्रिड गाय कैटेगरी की लगभग सभी गायें कम चारा खाती है, इसी वजह से इनको पालने में आने वाली लागत भी कम होती है।

ये भी पढ़ें: थनैला रोग को रोकने का एक मात्र उपाय टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट 

उत्तरी भारत के राज्यों में मुख्यतः हाइब्रिड किस्म की गाय की जर्सी नस्ल का पालन किया जाता है, परन्तु उत्तरी पूर्वी राज्यों जैसे कि आसाम, मणिपुर, सिक्किम में तथा एवं दक्षिण के कुछ राज्यों में शंकर किस्म की कुछ अन्य गाय की नस्लों का पालन भी किया जा रहा है, जिनमें होल्सटीन (Holstein) तथा आयरशिर (Ayrshire) प्रमुख है। 

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के द्वारा गठित की गई एक कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, देसी गायों को पालने वाले किसान भाइयों को समय समय पर टीकाकरण की आवश्यकता होती है, जबकि हाइब्रिड नस्ल की गायें कम टीकाकरण के बावजूद भी अच्छी उत्पादकता प्रदान कर सकती है।

पशु विज्ञान से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार गिर जैसी देसी नस्ल की गाय में पाए जाने वाले कूबड़ की वजह से उनके दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व अधिक होते हैं, क्योंकि, यह कूबड़ सूरज से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को अपने अंदर संचित कर लेता है, साथ ही विटामिन-डी (Vitamin-D) को भी अवशोषित कर लेता है। 

इस नस्ल की गायों में पाई जाने वाली कुछ विशेष प्रकार की शिराएं, इस संचित विटामिन डी को गाय के दूध में पहुंचा देती है और अब प्राप्त हुआ यह दूध हमारे शरीर के लिए एक प्रतिरोधक क्षमता बूस्टर के रूप में काम करता है। वहीं, विदेशी या हाइब्रिड नस्ल की गायों में कूबड़ ना होने की वजह से उनके दूध में पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है।

ये भी पढ़ें: अपने दुधारू पशुओं को पिलाएं सरसों का तेल, रहेंगे स्वस्थ व बढ़ेगी दूध देने की मात्रा 

पिछले कुछ समय से दूध उत्पादन मार्केट में आई नई कंपनियां देसी गायों की तुलना में जर्सी गाय के पालन के लिए किसानों को ज्यादा प्रोत्साहित कर रही है, क्योंकि इससे उन्हें कम लागत पर दूध की अधिक उत्पादकता प्राप्त होती है।

लेकिन किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि यदि उन्हें अपने लिए या अपने परिवार के सदस्यों के लिए गायों से दूध और घी प्राप्त करना है, तो उन्हें देसी नस्ल की गायों का पालन करना चाहिए और यदि आपको दूध को बेचकर केवल मुनाफा कमाना है, तो आप भी हाइब्रिड नस्ल की गाय पाल सकते है।

गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की तरफ से अहम कवायद की गई है। यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 900 रुपये पाना चाहते हैं, तो आपको मध्य प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इस योजना के तहत खुद को रजिस्टर कराना होगा। भारत में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। हिंदू धर्म का अनुपालन करने वाले लोग सामान्यतौर पर प्रत्येक जीव से प्यार करते हैं। परंतु, गाय को लेकर उनको विशेष लगाव होता है। हिंदू धर्म में गाय को काफी ज्यादा पवित्र जीव घोषित किया गया है और इसे मां का दर्जा प्रदान किया गया है। यही कारण है, कि गाय के दूध के साथ-साथ उसके गोबर और मूत्र का भी उपयोग सनातन धर्म के धार्मिक कार्यों में होता है। परंतु, फिलहाल, धीरे-धीरे गाय को पालने वाली परंपरा और संस्कृति समाप्त होती जा रही है। इसी संस्कृति का संरक्षण करने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।

गाय पालन हेतु किसे धनराशि प्रदान की जाएगी

मध्य प्रदेश सरकार ने यह ऐलान किया है, कि वह प्रति माह उन लोगों को 900 रुपये प्रदान किए जाऐंगे। जो गाय का पालन और जैविक खेती करेंगे। इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 22000 किसानों को पहली किश्त जारी भी कर दी है। साथ ही, सरकार द्वारा राज्य में पशु चिकित्सा एंबुलेंस सर्विस का भी शुभारंभ किया है। ये भी पढ़े: इस नंबर पर कॉल करते ही गाय-भैंस का इलाज करने घर पर आएगी पशु चिकित्सकों की टीम

योजना का लाभ लेने के लिए क्या करें

यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रति माह 900 रुपये पाना चाहते हैं। तो आपको मध्य प्रदेश की सरकारी वेबसाइट पर जाकर इस योजना के चलते स्वयं को पंजीकृत कराना होगा। इसके साथ ही गाय का गोबर भी खरीदने की योजना तैयार की जा रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि वह संपूर्ण राज्य में विभिन्न गोबर प्लांट लगा कर गाय के गोबर से सीएनजी तैयार करेंगे।

पशु एंबुलेंस बुलाने के लिए इस नंबर को डायल करें

यदि आप मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और अपने पशु के रोगग्रस्त होने पर एंबुलेंस मंगाना चाहते हैं। तब आपको कुछ नहीं करना है, सिर्फ 1962 नंबर डायल कर देना है। यह नंबर पूर्णतयः टोल फ्री है। इस नंबर को डायल करने पर आपके फोन से एक भी रुपया भी नहीं कटेगा। ऐसा करते ही कुछ ही समय में आपके घर के बाहर पशु एंबुलेंस उपस्थित हो जाएगी।
जानें देसी गाय और जर्सी गाय में अंतर और दुग्ध उत्पादन क्षमता

जानें देसी गाय और जर्सी गाय में अंतर और दुग्ध उत्पादन क्षमता

किसान एवं पशुपालक अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के दुधारू पशुओं का पालन किया करते है। सामान्य तोर पर देखा जाए तो आज के दोर में पशुपालन सबसे शानदार व्यवसाय है। 

लेकिन, सामान्य तोर पर देखा गया है, कि पशुपालकों को गायों की सटीक जानकारी का अभाव होने के चलते उन्हें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

ऐसे में आज हम किसानों व पशुपालकों के लिए देसी और जर्सी गाय से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। इससे आपको अपनी आवश्यकता के अनुसार उचित गाय चयन का पालन कर सके। 

ये भी पढ़ें: स्वदेशी गाय खरीदने पर यह सरकार दे रही 80 हजार रुपए की धनराशि

भारत देश में ऐसे तो विभिन्न प्रकार की गाय की नस्लें पाई जाती हैं। लेकिन देसी और जर्सी गाय का पालन अधिकांश पशुपालकों के द्वारा किया जाता है।

भारतीय देसी गाय 

भारतीय गाय को भी देसी गाय कहा जाता है। ये बॉश इंडिकस श्रेणी की गाय होती हैं। इनकी पहचान लंबे सींग और बड़े कूबड़ से होती है। 

इस गाय का विकास प्रकृति द्वारा होता है। उत्तर भारत में देसी गाय की बहुत सी नस्लें पाई जाती हैं। देसी गाय अधिकतर गर्म तापमान में रहती हैं। इस गाय की दूध देने की क्षमता काफी ज्यादा शानदार होती है। 

जर्सी गाय 

जर्सी गाय बॉश टेरेस की श्रेणी में आती हैं। जर्सी गाय देसी गाय की तुलना में ज्यादा दूध देती हैं। इन गायों के लंबे सींगें और बड़े कूबड़ नहीं होते हैं। गाय का निर्यात भारत में सबसे ज्यादा होता है। जर्सी गाय ठंडी जलवायु में रहती है। 

ये भी पढ़ें: इन नस्लों की गायों का पालन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

देसी और जर्सी गाय में पाए जाने वाले प्रमुख अंतर 

सनातन धर्म के अनुरूप भारत में देसी गाय को माता का दर्जा मिला है, तो वहीं जर्सी गाय को ब्रिटेन में प्रमुख स्थान मिला है। बॉश इंडिकस श्रेणी में देसी गाय आती है और जर्सी गाय बॉश टोरस की श्रेणी में आती है।

देसी गाय का विकास प्रकृति पर निर्भर है। देसी गाय का विकास जलवायु परिस्थितियों, चारे की उपलब्धता, काम करने के तरीके आदि के आधार पर होता है। वहीं, जर्सी गाय का विकास ठंडे तापमान के अनुरूप होता है। 

देसी गाय के सींग लंबे और बड़े कूबड़ होते हैं। लेकिन, ऐसा जर्सी गाय में नहीं होता है। देसी गायों का कद जर्सी गायों की तुलना में छोटा होता है।